दाग कितने अच्छे हैं
दागियों के शहर में बेदागी बदनाम हैं
दाग कितने अच्छे हैं चर्चा ये आम है
शराफ़त की क़द्र तो शरीफ़ ही जाने
दरबारियों की फ़ितरत में चापलूसों का जाम है
सुना था मृत्यु आती है एक बार
यहाँ तो जिन्दे लाशो से एहतराम है
तुलसी भी कभी लाशों के मझधार पे चले थे
जब रगो में वासनाओं का सैलाब उमड़ा था
जीवन्त हुआ था उनकी दृष्टि
जब जीवन से ठोकर खाया था
आज के मुर्दे जीवन में
चालाकी सुबह-ओ-शाम है
दाग कितने अच्छे हैं चर्चा ये आम है
दागियों के शहर में बेदागी बदनाम हैं
दाग कितने अच्छे हैं चर्चा ये आम है
शराफ़त की क़द्र तो शरीफ़ ही जाने
दरबारियों की फ़ितरत में चापलूसों का जाम है
सुना था मृत्यु आती है एक बार
यहाँ तो जिन्दे लाशो से एहतराम है
तुलसी भी कभी लाशों के मझधार पे चले थे
जब रगो में वासनाओं का सैलाब उमड़ा था
जीवन्त हुआ था उनकी दृष्टि
जब जीवन से ठोकर खाया था
आज के मुर्दे जीवन में
चालाकी सुबह-ओ-शाम है
दाग कितने अच्छे हैं चर्चा ये आम है
Comments
Post a Comment