जज़्बात में अक़्सर उलझ कर रह जाते हैं लोग, एक बादल के टुकड़े में आशियाना तलाशते रह जाते हैं लोग। उलझन को सुलझाने में पूरा वक़्त निकल जाता है, ख्वाहिशों की गुलिस्ता सजाने में जीवन व्यर्थ हो जाता है। पत्ते तोड़ शज़र को सजाने में लग जाते हैं लोग। एक बादल के टुकड़े में आशियाना तलाशते रह जाते हैं लोग।। ख़ुद को ढ़क कर कीचड़ उछाला जाता है, अपने दाग से रिश्तों की तस्वीर उकेरा जाता है। जज़्बात में ख़ुद को घायल कर जाते हैं लोग। एक बादल के टुकड़े में आशियाना तलाशते रह जाते हैं लोग।। बाज़ार में हर ओर इल्ज़ाम परोसा जाता है, ख़रीद-फरोख्त को सौदागर भी मिल जाता है। सच्चाई से कुछ इस क़दर बच के निकल जाते हैं लोग। एक बादल के टुकड़े में आशियाना तलाशते रह जाते हैं लोग।।
There is something in everything and everything in something.