कटुता, क्षल, व्यंग, व ईर्ष्या झलकता है राजनीति के बिसातो में बिन बादल देखो उमड़ पड़ा प्रेम माँ के आँचल से कुछ बोल सको दो बोल दो चंद शब्द सही निश्छलता से गर तैयार है वाणी आहत को मन मौन भरे निर्मलता से वाणी-वीरता में प्रज्ज्वलित कोई देश कहाँ महान हुआ इस मौन के अन्तःसागर में सत्यकाम, बुद्ध को ज्ञान हुआ कबीर का सबने पाठ किया शब्दों में उनको याद किया पर ढ़ाई आखर प्रेम को व्यवहार में क्यों तिरस्कार किया? जीवन बिना मूल्यों के धन बिना उसूलों के शब्द उल-जुल फिजुलों से सफलता तू कैसी सफलता है? जिसके दामन में बेतहाशा शोहरत है पर जीवन जीने के लिए दो पल भी ना मयस्सर है।
There is something in everything and everything in something.