कुछ बातें यादों के झरोखे से
दस्तक दिए जाती है
वक़्त-बेवक़्त कभी भी ये सवाल पूछ जाती है
कि सुख-दुःख के भँवरजाल में वो कौन है
जिसे हम जीवन कहते हैं?
वो कौन है जो साक्षी मात्र है?
इतनी गूढ़ता से रचा यह संसार
क्या एक कल्पना मात्र है?
एक कोरी कल्पना
जिसे गढ़ने वाला सिर्फ़ हम हैं
इतनी शिद्द्त से सजा
सपनों का महल
बस पलक झपकते ही
अपनी सच्चाई से रूबरू हो जाता है
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