मैं एक इमेज हूँ
हर सच का तस्वीर हूँ
हर एक झूठ का चश्मदीद हूँ
मैं एक इमेज हूँ
टूटता-फूटता, खिलखिलाता,
रोता-बिलखता, जगमगाता,
कभी स्थिर कभी सरपट दौड़ हूँ।
मैं एक इमेज हूँ।
प्रतिष्ठा को प्रतिष्टित करता,
चाँद में चाँदनी का लेप लगाता,
शुक्ल-कालिमा के बीच तालमेल बिठाता,
मन की कैमरे में क़ैद,
मैं एक इमेज हूँ।
कल्पना मेरे शिल्पकार है,
जिज्ञासा मेरे तलबगार है,
रचना मेरा संसार है,
हर तस्वीर का मैं तदबीर हूँ,
हर नजीर का मैं रक़ीब हूँ,
मैं एक इमेज हूँ।
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