कुछ ही पल तो मिला है हमें इसके कतरों में बिना उतरे कैसे गुज़ार दें? आँधी का शौक़ पालने वाले अक़्सर साँसों में जीना भूल जाते हैं। आदमी भीड़ हो जाया करता है, तमासे बेहतरीन हो जाया करते हैं। तबियत का हाल जानने वाले कुछ दोस्त मुनासिब नहीं होते, बस बातों में तमाम उम्र रात और दिन हो जाया करते हैं। इतने चेहरे ओढ़े हैं मुस्कान आने से रह जाती है, बेपर्दा शख्स आजकल निजता के पर्दानशीं हो जाया करते हैं। बेसाज़, बेआवाज़ मौसीक़ी के दीवाने हर कोई मालूम पड़ता है, फ़िर भी शान्ति के बोल क्यों गुम हो जाया करते है? पहचान के ख़ातिर लहू की होलियाँ खेली जाती है, क़ब्र में जाकर वो पहचान मिट्टी के ढ़ेर हो जाया करते हैं। ईश्वर के नाम पे और कितनी सदियाँ जलेगी आग में? रोटी के नाम पे सियासतदान मौन हो जाया करते हैं।
There is something in everything and everything in something.