हर विचार, व्यवहार के पीछे कोई वज़ह होती है,
हर वज़ह में स्थित कोई सुलह होती है,
जिसके दामन से ब्रह्याण्ड का जन्म हुआ था।
हर बिखरे स्वरूप में, गहरे आकाश में,
जीवन-रूपी असीमित ऊर्जा की धारा बह रही है।
जिन्होंने इसे पदार्थ-रूपी देखा,
उन्होंने पदार्थों की दुनिया बना दी।
जिसने जीवन को मानव के केंद्र में रखा,
उसने राजनीति बना दी।
कल्याण और स्वच्छंदता कोई मनुष्य रूपी वरदान नहीं है,
ब्रह्याण्ड का हर सूक्ष्म कण स्वतंत्र है।
अहंकार का सृजन इस विचार से होता है कि सिर्फ हम हैं और हम ही हैं,
जबकि सृष्टि में अहम का कोई स्थान नहीं है।
ये नाम, वर्ग, पहचान एक कल्पना है, कोरी कल्पना,
जिसके साथ संघर्ष में लीन ना जाने कितने दुःख उठाए गए हैं।
संसार की सभी बेड़ियों में विचार का पहला स्थान है,
जिसके क़ैद को भी सहर्ष स्वीकृति मिलती है।
जीवन किसी विचार का गुलाम नहीं है,
किसी संकल्प से बाँधा नहीं जा सकता,
हाँ, स्वप्न में जीने वालों ने इसे स्वर्ग-नरक, अपने-पराए, और सुख-दुःख में बांट रखा है।
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