सवाल कितने हैं जवाब के क़ाबिल?
जवाबों के ढ़ेर से बाहर कुछ सवाल ढूंढ कर लाओ
जवाबों में सवाल ढूंढ़ने का हुनर तो है तुममें
कुछ जवाबों से मरहूम सवाल हो तो लाओ
कल्पना चंद जवाबों में क्यों क़ैद है?
क्यों दृष्टि अंधेरों में मदहोश है?
उधार के लब्जो से भला बात कब तक बनेगी
दृष्टि-उन्मुख कोई नज़र हो तो लाओ
कुछ बगीचे सही और ग़लत के उगाये है तुमने
नैतिक-मूल्यों की बगिया सजाई है तुमने
इन नगमों से और कितने नज़्म बनेंगे भला
इन रागो के छुअन से दूर कोई जज़्बात है तो लाओ
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