हर तस्वीर में जिया है आदमी
हर सांस को पिया है आदमी
कुछ हसरत के पंख ना लगे
पर वीरान से पथ को चूमा है आदमी
कुछ बात अधूरी ही रही
कुछ ख़्वाब सवेरे ही रहे
ख़ामोशी का साया बन
कुछ याद पिरोया है आदमी
हर सांस को पिया है आदमी
कुछ हसरत के पंख ना लगे
पर वीरान से पथ को चूमा है आदमी
कुछ बात अधूरी ही रही
कुछ ख़्वाब सवेरे ही रहे
ख़ामोशी का साया बन
कुछ याद पिरोया है आदमी
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