दुःख-सुख की उत्पत्ति के पीछे कोई अनबूझ रहस्य नहीं है
फ़र्क इतना है कि हम जानना नहीं चाहते
जो आंखों के सामने है उसे अनबूझ पहेली मान कर बैठे हैं
अँधेरा है नहीं, हमने ही आँखें मूँद लिया है।
डर के साये में जन्में हर एक अस्तित्व में प्रेम नहीं हो सकता
जिसे बाहर से थोपा गया हो
वो अवांछित अस्तित्व है
उसके जीवन में जीने जैसा कुछ भी नहीं
एक डर का साया है
और उसे पकड़ कर बाँध रखने में ही
जीवन की सारी ऊर्जा खर्च हो जाती है।
संगीत का जन्म आंनद में है
जिसका ना कोई ओर है ना छोर
ना कोई शुरुआत है ना कोई अन्त
ना कोई रास्ते हैं ना कोई मंज़िल
ना कोई वासना है ना कोई दौड़
वो प्रेममयी आनंदमयी अस्तित्व
की चाह में मीरा गीत गाती है
कबीर, रैदास दोहे लिखते हैं
और वो अस्तित्व कहीं और नहीं
चेतना में मिलता है
जिसे भुला कर मृग
कस्तूरी की चाह में
वन-वन भटकता है।
प्रेम करने निकले हो
तो समझ लेना प्रेम को समझे नहीं
जहाँ मन है वहाँ प्रेम नहीं
जहाँ प्रेम है वहाँ सारा अस्तित्व है!
❤️❤️❤️❤️❤️
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