पुरस्कार से पुरस्कृत
तिरस्कार से लज्जित
जो जीता वो हारा
जो पाया वो खोया
जो जमा किया
वो धूमिल हुआ
जिसे खरीदा
वो फिरसे बिक गया
जिसे संवारा
वो फिरसे बिगड़ गया
एक पक्ष कहाँ है?
वो अस्तित्व कहाँ है?
यहाँ तो सिर्फ बदलाव है।
There is something in everything and everything in something.
पुरस्कार से पुरस्कृत
तिरस्कार से लज्जित
जो जीता वो हारा
जो पाया वो खोया
जो जमा किया
वो धूमिल हुआ
जिसे खरीदा
वो फिरसे बिक गया
जिसे संवारा
वो फिरसे बिगड़ गया
एक पक्ष कहाँ है?
वो अस्तित्व कहाँ है?
यहाँ तो सिर्फ बदलाव है।
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