ज़िन्दगी ख़ुद में ही नसीहत है,
वो भला पुरानी पोथी में गुमनाम सफ़र क्यों करेगा?
ज़िन्दा होने का सबूत कब्रों से इकट्ठा करते-करते थक जाओगे,
और मज़हब के नाम पे नसीब होगा पुराने जख्मों से निकली चंद लोरियां।
ज़िन्दगी कोई एक पाठशाला में रमाई हुई धुन नहीं है,
जिसके बासीपन को भाग्य मानकर गटक लिया जाए।
इतिहास के पन्नों में जीवन ढूढ़ने से राजा और उसके अहंकार की कहानी मिलती रहेगी।
और इतिहासकारों का झुंड कुछ सवालों से अपना मन बहलाता रहेगा।
अब आज जो मेरे क़रीब गुज़र रहा है,
उसे इतिहास के पन्नो पे क्यों छोड़ दें?
क़लम और स्याही तो आज भी है,
बस जज़्बा और देखने का नज़रिया चाहिए।
वो भला पुरानी पोथी में गुमनाम सफ़र क्यों करेगा?
ज़िन्दा होने का सबूत कब्रों से इकट्ठा करते-करते थक जाओगे,
और मज़हब के नाम पे नसीब होगा पुराने जख्मों से निकली चंद लोरियां।
ज़िन्दगी कोई एक पाठशाला में रमाई हुई धुन नहीं है,
जिसके बासीपन को भाग्य मानकर गटक लिया जाए।
इतिहास के पन्नों में जीवन ढूढ़ने से राजा और उसके अहंकार की कहानी मिलती रहेगी।
और इतिहासकारों का झुंड कुछ सवालों से अपना मन बहलाता रहेगा।
अब आज जो मेरे क़रीब गुज़र रहा है,
उसे इतिहास के पन्नो पे क्यों छोड़ दें?
क़लम और स्याही तो आज भी है,
बस जज़्बा और देखने का नज़रिया चाहिए।
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