रास्तों में अक़्सर चलते चलते
कई चौराहे मिलते हैं
कौन से रास्ते हैं भला
जो मंज़िल तक जाती है?
कभी दिन के बहाव में
कभी रात के संसार में
गिरवीं सपनों के बाज़ार मिलते हैं
वो कौन सी मुक़म्मल घड़ी है
जहाँ प्रेम के पंख आसमां होती है?
बातों बातों में दुनिया जहां होती है
वो कौन सी खामोशी है
जहां ख़ुद से पहचान होती है?
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