हर कोई एक डाल पे अटका है
भला पूरे पेड़ की सुध-बुध किसको है?
हर कोई बटा-बटा सा बिखरा है
प्रेम की संपूर्णता का परख किसको है?
उसूलों के हवाले से उसूलों का अस्तित्व मिटा-मिटा सा है
संकेतों के अतिरिक्त भला सच्चाई का अनुभव किसको है?
हर कोई बातों-बातों में उलझा है
बिना बातों के संवाद का अनुभव किसको है?
रिश्तें झूठ के सेहद पर टिका है
रिश्तों में सच्चे प्रेम का अनुभव किसको है?
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