इतिहास का गौरव,
किसी के सपनों का ताज़महल,
आज सुबह की ही बात है।
जीवन का स्पंदन,
पेड़ की डालियों पे झूमते पत्ते,
आज सुबह की ही बात है।
ये रंग-बिरंगे मनको की माला,
उससे गुंथे आज और कल का सच,
आज सुबह की ही बात है।
ख़ुद के अस्तित्व का उपजा पहाड़,
और उसका ढ़हता संसार,
आज सुबह की ही बात है।
बादलों सा प्रकृति का मेघ,
धरा ही जीवन का शेष,
आज सुबह की ही बात है।
यूँही कल्पना में रम जाना,
शब्दों के बहाव में खो जाना,
आज सुबह की ही बात है।
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